ये दुनिया छोटी होते-होते
इतनी बड़ी हो गई है कि,
किसी को देखने के लिए तरसा करें उम्र भर,
इसके लिए ज़रूरी नहीं कि वह इस जहाँ से चला जाए,
आज कल तो सिर्फ़ कमरे भर बदल लेना ही काफी होता है।
मेरी जिंदगी एक कैनवस की तरह है। जिसमें शब्द कम है और चित्र ढेरों-ढेर। नहीं मालूम आपके लिए यह क्या है पर मेरा तो यही सच है।
Saturday 21 June 2008
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इच्छाधारी गधा
अभी पिछले दिनों एक खोजी लेखक ने गधों की घटती संख्या पर अच्छा खासा लेख लिख मारा। लेखक की चिंता इस बात को लेकर थी कि आम आदमी की जिंदगी में ...
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