Thursday 26 June 2008

बेकुसूर मौत

जिंदगी
अपने नुकीले दांतों में फंसे
हमारे शरीर को
कुचल-कुचल कर,
स्वाद ले-ले कर
चबाती है
अन्तिम साँस तक।
फिर...
उगल देती है बेजान लाश
और...हम
सारा दोष मढ़ देते हैं
मौत के माथे।

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