Wednesday 25 June 2008

आँखों में चुभता अँधेरा

पिछले रविवार से अजीब से घटनाओं की सुरंग से गुजर रहा हूँ। चरों तरफ़ घना काला अँधेरा छाया है। घटनाएँ घट रही हैं, कुछ पुराने रंग चढ़ रहे हैं कुछ उतर रहे हैं। एक हमजाये का दर्द महसूस करने की कोशिश कर रहा हूँ। दवा तो नही ला सकता इसलिए ख़ुद दर्द की डगर पर साथ चलने की छोटी सी कोशिश भर कर रहा हूँ। चूंकि अभी घना घटाटोप अँधेरा है इसलिए आप सब के साथ कुछ ज्यादा नहीं बाँट सकता। कुछ नज़र आते ही ज़रूर आपका सहारा लूँगा।

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इच्छाधारी गधा

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